मुँह के कैंसर के शुरुआती लक्षण

कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसका अभी तक चिकित्सा विज्ञान के पास कोई स्थाई इलाज नहीं है और इसीलिए लोग इस बीमारी के नाम से ही डर जाते हैं। वैसे तो कैंसर कई तरह के होते हैं लेकिन अगर कोई ऐसा कैंसर है जो बहुत ही सामान्य है यानी इसके होने की संभावना बहुत ज्यादा है तो वह है मुंह का कैंसर।
मुंह का कैंसर मुंह के किसी भी हिस्से में हो सकता है, जैसे गाल, जबड़ा, मसूड़े आदि। मोटे तौर पर कहें तो मुंह का कैंसर चेहरे से लेकर गले तक के हिस्से को अपना शिकार बनाता है।
अमेरिकन कैंसर सोसायटी (एएससीसी) के मुताबिक, साल 2019 में करीब 53 हजार अमेरिकी नागरिकों को मुंह का कैंसर हुआ था। यहां मरीज को करीब 60 साल की उम्र के बाद कैंसर होने का पता चलता है, लेकिन 25 फीसदी मामले 50 साल की उम्र से पहले सामने आते हैं। यह कैंसर महिलाओं को कम और पुरुषों को ज्यादा प्रभावित करता है।

मुंह का कैंसर क्या है?
अस्वास्थ्यकर जीवनशैली और दवाओं के अधिक सेवन के कारण जब मुंह के अंदरूनी हिस्से जैसे जीभ, गाल, जबड़ा या दाढ़ में कहीं भी किसी तरह की कठोरता या गांठ उभरने लगती है तो इसे मुंह का कैंसर कहा जाता है। मुंह का कैंसर किसी एक कारण से नहीं हो सकता इसके कई कारण हो सकते हैं।

मुंह के कैंसर के लक्षण?
जब मुंह में सफेद धब्बे दिखने लगें और बार-बार मुंह धोने या नहाने पर भी ये धब्बे न जाएं तो इसे ल्यूकोप्लाकिया कहते हैं। यह मुंह के कैंसर का शुरुआती लक्षण है।

कभी-कभी चेहरे पर अचानक सफेद धारियां आ जाती हैं और उनके बीच में लाल रंग भी दिखने लगता है, इसे ओरल लाइकेन प्लेनस कहते हैं और यह भी मुंह के कैंसर का शुरुआती लक्षण है।

कई लोगों को मुंह के अंदर छाले जैसे घाव दिखाई देने लगते हैं, लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है कि यह मुंह का कैंसर है, लेकिन अगर मुंह के अंदर बदलाव महसूस हो रहे हैं, तो इसके बारे में डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। ऐसा करने से कैंसर का समय पर पता चल जाएगा और सही इलाज हो पाएगा।

अगर मुंह से खून बह रहा हो, मुंह के अंदर दर्द या किसी तरह का सुन्नपन महसूस हो रहा हो, कोई सख्तपन या गांठ महसूस हो रही हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

मुंह के कैंसर के कुछ अन्य कारण भी देखे गए हैं, जैसे आवाज में बदलाव, खाना चबाने और निगलने में दिक्कत, जबड़े और जीभ को हिलाने में दिक्कत महसूस होना आदि।

मुंह के कैंसर का इलाज

दवाइयाँ
मुंह के कैंसर की शुरुआती स्टेज के लिए दवाएं काफी हैं। मुंह के कैंसर को कई दवाओं के प्रयोग से ठीक किया जा सकता है। ये दवाएं शरीर में कैंसर को बढ़ने से रोकती हैं, जिससे कैंसर दूसरे अंगों में नहीं फैलता।

विकिरण चिकित्सा
कई बार रेडिएशन थेरेपी का भी इस्तेमाल किया गया है। इस थेरेपी के जरिए शरीर में कैंसर सेल्स को नष्ट करने की कोशिश की जाती है।

बायोप्सी
बायोप्सी सर्जरी से भी मुंह का कैंसर ठीक हो जाता है। इसके जरिए शरीर में कैंसर वाले टिश्यू को अलग किया जाता है।

कीमोथेरपी
कैंसर के ज्यादातर मामलों में डॉक्टर कीमोथेरेपी ही अपनाते हैं। इसमें कैंसर को खत्म कर ठीक करने की कोशिश की जाती है। लगभग हर तरह के कैंसर में इसका इस्तेमाल होता है, जैसे ब्रेस्ट कैंसर, लंग कैंसर, ब्रेन ट्यूमर आदि।

सामान्य कैंसर सर्जरी
कैंसर की सर्जरी तब की जाती है जब मरीज को किसी भी तरह के इलाज से आराम नहीं मिलता है। इसमें ट्यूमर और उसके आसपास के टिश्यू को सर्जरी के जरिए हटा दिया जाता है।

कैंसर का पता चलने पर क्या करें?
मुंह के कैंसर का इलाज कई परिस्थितियों पर निर्भर करता है। इसके इलाज के लिए डॉक्टर को कई बातों का पता होना बहुत जरूरी है, जैसे- कैंसर की उत्पत्ति कहां से हुई, यानी इसकी जड़ कहां है, कैंसर फिलहाल किस स्टेज पर है और आखिरी बात यह है कि यह किस तरह का है। कैंसर है।

इन सभी परिस्थितियों का परीक्षण करने के बाद ही कोई डॉक्टर किसी निर्णय पर पहुंच सकता है। वैसे तो ज्यादातर डॉक्टर कैंसर को खत्म करने के लिए ऑपरेशन या सर्जरी की सलाह देते हैं। कई और डॉक्टर भी इसके इलाज के लिए कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी के परामर्श को उचित मानते हैं।

Dr. Sandeep Bhukar नाक कान व मुँह के कैंसर के विशेषज्ञ नोबल हार्ट हस्पताल दिल्ली बाई पास रोहतक